How to store grain naturally without affecting your health and without using Sulfonamide (Sulfas)?
नमस्कार दोस्तों,
आज हम जानेंगे की अनाज को प्राकृतिक रूप से कैसे भंडारित किया जा सकता है? और कैसे हम सुल्फास जैसे भयंकर दवा के प्रयोग के बिना अनाज को सुरक्षित रख सकते हैं?
अप्रैल-मई के महीने में बहुत सारी फसलें पक जाती हैं जैसे गेंहू, चना, सरसों, तथा जों. इस समय पर नया अनाज हमारे घर आता है. पिछले काफी समय से हम देख सकते हैं की अनाज के भंडारण हेतू सल्फ़ास जैसी ज़हरीली दवा का प्रयोग आम हो गया है. बहुत सारे घर तो ऐसे भी हैं जो उस अनाज को बिना धोये है प्रयोग में लेते हैं और सीधा खा जाते हैं. हालाँकि, ऐसे ज़हरीले अनाज को हम धो कर खाएं या बिना धोए वो हमारे लिए हानिकारक तो है ही. सल्फ़ास जैसी दवा जो हम अनाज भंडारण के लिए प्रयोग करते हैं, उनके नुकसान बहुत ही घातक हैं और इस बारे में वैज्ञानिक समय समय पर चेतावनी दे चुके हैं.
छोटी मोटी बीमारी को तो छोड़ ही दें, यह ज़हरीली दवा कैंसर का भी मुख्य कारक है. तो आप कहोगे की ऐसे तो हमारे अनाज में बहुत सारे कीट पतंगे पैदा हो जाते हैं, अनाज खराब हो जाता है, घुन लग जाता है, उसके लिए क्या उपाय करें?
अनाज भंडारण के नेचुरल उपाय
जिस कुदरत न हमें इतना अच्छा अनाज दिया है, खाने पीने के लिए पौषक तत्त्व दिए हैं, उसी कुदरत ने हमारी अनाज भंडारण की समस्या भी सुलझाई है. निमंलिखित कुछ ऐसी उपाय हैं जो आपको कुदरती तरीके से अनाज भंडारण में मदद कर सकते हैं:
- सबसे पहले तो आप किसी भी अनाज को सुखा कर और ठंडा करके भंडारित करें. जब भी आपके घर फ़सल आती है तो उसका धूप में सुखाएं और रात में भी बहार ही पड़ा रहने दें. अगले दिन सुबह या शाम जब भी आप अनाज को भंडारित करें, वह सुखा तथा ठंडा होने चाहिए. धूप में गरम अनाज को पैक न करें.
- गीले अनाज को कभी भी भंडारित ना करें. ध्यान रखें की अनाज पैक करते समय बारिश का मौसम न हो, पूर्वा हवा ना चलती हो, सुखा मौसम हो और पछवा ह्व़ा चलती हो. ऐसे समय ही अनाज भंडारित करने के लिए सर्वोचित है.
- इसके बाद, जिस भी टंकी में आपने अनाज स्टोर किया है उसमे घी या कपूर का दिया जला करके, ढ़क्कन बंद कर दें. उस टैंक में मौजूद हवा को दीपक ख़तम कर देगा. ऐसे वायुरहित अनाज के ख़राब होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
- अनाज भंडारण में हमारा सबसे मुख्य घटक है कुदरत का ही दिया हुआ तौफ़ा – नीम. जब भी आप गेंहू , चना , जों इत्यादि को भंडारित करें तो उसमे साथ की साथ नीम की पत्तियां डालते रहें. जैसे ही आपने 25 से 30 किलो अनाज डाला तो उसके ऊपर नीम की पत्तियां डाल दें और फिर बाकी अनाज डालें. चाहे आप कितना भी अनाज भंडारित करें, हर 20-30 किलो अनाज के बाद नीम की पत्ती जरुर डालें.
यहाँ दी गयी जानकारी को आप विडियो के रूप में भी देख सकते हैं और अपने जान पहचान वालों तक भी यह लेख पहुंचा सकते हैं.
बारिश के सीजन के बाद वातावरण में नमी हो जाती है जिस कारण भंडारण किए गए अनाज में सुरसी (ढोरा) हो जाता है। हो सकता है इसको आपके एरिया मे कुछ ओर बोला जाता हो।
उसको खत्म करने के लिये हम गेहूँ में शल्फास नामक जहर रखते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है।
आज आपको बिना जहर डाले हमारे बुजुर्गों वाला नुस्खा बताता हूं।
आट्टे का एक दिया सरसों के तेल का बनाए उसकी बाती ऐसी रखें जो ज्यादा देर तक जलता रहे। दिए को टंकी के अंदर रख कर जला दें। उसके बाद टंकी को आट्टे या किसी ओर के साथ एयर टाइट कर दे जिस से उसके अंदर हवा ना जा सके।
जब तक तक टंकी में आक्सीजन रहेगी तब तक दिया जलता रहेगा। उसके बाद अपने आप बंद हो जाएगा। और आक्सीजन के खत्म होते ही सब कीट भी मर जाएंगे। ना हमे जहर डालना पड़ेगा। 15-20 दिन बाद खोल कर गेहूँ निकाल सकते हैं।
यह सब करने के बाद आपका अनाज सुरक्षित रहेगा और ज़हरीली दवाओं से बचाव होगा तो आप भी बीमारियों से बचे रहोगे.